मेरी माँ ही मेरी सबकुझ है
जन्नत है मेरी दुनिया है
सुंदर भी है और तेज भी
सबको देखे और समझे भी
हर मुस्किल से वो हमें बचाए भी
नज़र बचाए और कला टिका हमें लगाये भी
वो माँ हे मेरी जो मुझको ख़ुद से झिपये भी।
सबकुझ झेले कुझ न बोले,
दुनिया में सबसे अलबेली हे वोह
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