Monday, July 28, 2008

बेबस zindgi

बिन पानी मझरिया हू मै ,बिन आँगन की घर हू मै
बिन पंखो के पैर पसारे ,यु ही हवा में तेरत हु मै
तुम जो रुढे जग भी रुधा ,तुम झूटे और बंधन भी टुटा
कहा ho तुम् आज्वो मेरे पास ,जीवन भर मुझे चाहिये तेरा ही साथ
में आब नही जी पाऊँगी तेरे बगेर, की बिन तेरे जिंदगी में रोवत हू में
मेरे लिए तुम ही जीवन तुम ही संगी हो मेरे
तुम ही हो प्यास तुम ही पानी हो मेरे
कहा चले गए तुम में कहा धुन्धू तुम्हे
की मै टूट कर बिखर न जाऊ बिन धागों की मोती हु में

Wednesday, July 9, 2008

Meri Maa

मेरी माँ ही मेरी सबकुझ है
जन्नत है मेरी दुनिया है
सुंदर भी है और तेज भी
सबको देखे और समझे भी
हर मुस्किल से वो हमें बचाए भी
नज़र बचाए और कला टिका हमें लगाये भी
वो माँ हे मेरी जो मुझको ख़ुद से झिपये भी।
सबकुझ झेले कुझ न बोले,
दुनिया में सबसे अलबेली हे वोह